लेखनी प्रतियोगिता -20-Oct-2022 सकारात्मकता
जमाने के हर गम पर मैं सदा मुस्कुराता रहा ।
कुछ इसी तरह "श्री हरि" हर दिन बिताता रहा ।।
पत्थर भी कम ना फेंके थे लोगों ने मेरी राह में ।
बस उनसे ही पुल बनाकर मैं मंजिलें पाता रहा ।।
सुबह से ही चलने लगती हैं नफरतों की आंधियां ।
हंसते हंसते राह में प्रेम के फूल बिखराता रहा ।।
चारों तरफ व्याप्त है नकारात्मकता का अंधेरा सा ।
सकारात्मकता का एक दीप रोज मैं जलाता रहा ।।
जय पराजय भूलकर "निष्काम कर्म" करता गया ।
श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश ये राह दिखाता रहा ।।
श्री हरि
20.10.22
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Abhinav ji
21-Oct-2022 09:23 AM
Very nice👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
21-Oct-2022 09:02 AM
बहुत ही सुंदर
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Anshumandwivedi426
20-Oct-2022 11:57 PM
जय श्री हरि
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Hari Shanker Goyal "Hari"
21-Oct-2022 04:26 AM
धन्यवाद आदरणीय 😄😄
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